Wednesday, 19 August 2015

एक एहसास जीने का.........

Where I had tried to jot down my thoughts in Hindi for the first time few years ago -

जाने वह कौन सा दिन था
जब जिंदगी ने हमें बुलाया,
थोड़ा हंसाया, थोड़ा रूलाया,
आहिस्ता आहिस्ता जीना सिखाया...

जिंदगी की वह सुनहरी सुबह
जागते जगाते ही
हमें शाम के आगोश में ले आयी,
जहाँ अंधेरा तो है,
पर शीतलता का स्पर्श भी,
जीने का एहसास भी है,
जिंदगी का निष्कर्ष भी...

मगर जिंदगी रूकती नहीं यहां,
थमते नहीं उसके कारवां,
बढ़ती जाती है आगे, और आगे,
बहुत आगे -
जाने किसी नयी खोज की ओर 
शायद वहां तक
जहां पर बंधी है
जीवन-मृत्यु की नाजुक डोर...

No comments:

Post a Comment